दोस्तों हमारा समाज पुरुष प्रधान समाज है। महिलाओं को सिर्फ घरेलू कामकाज करने के लिए ही कहा जाता है, लेकिन दोस्तों औरत सिर्फ एक औरत ही नहीं होती एक मां, बेटी, बहू आदि कई भूमिकाएं एक साथ निभाती है। दोस्तों इस पुरुष प्रधान समाज के अंदर महिला को बहुत कुछ झेलना पड़ता है। पूरे परिवार का ध्यान रखना उसके जिम्मेदारी माना जाता है और अपने परिवार की देखरेख और उसके जिम्मेदारी एक औरत बखूबी आराम से निभा भी लेती है। औरत को समझना बहुत ही मुश्किल होता है। अगर आप इनके बारे में जानेंगे, तो शायद आपको विश्वास भी नहीं होगा।
- स्त्री का शरीर देखने से ही नाजुक होता है और वास्तव में स्त्री का शरीर काफी नाजुक और लचीला होता है। स्त्री के शरीर मैं कुदरत ने यह एक खास खासियत दी है, कि बच्चे के जन्म के दौरान स्त्री का शरीर इतना अधिक लचीला हो जाता है कि वह पूरी प्रक्रिया संपूर्ण होने के दौरान पहले तो उसका शरीर बढ़ जाता है बाद में वह अपनी सही स्थिति पर आ जाता है।
- कुदरत ने एक और खासियत महिलाओं को दी है वह है ज्यादा बोलने की, क्योंकि जन्म से ही स्त्रियों के दिमाग में दो बोलने की क्रिया होती हैं वर्ड प्रोसेसिंग और स्पीच, यह दो सेंटर होते हैं, जबकि स्त्रियों के मुकाबले पुरुष के अंदर सिरप एक ही स्पीच सेंटर होता है।
- पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों का दिल भी काफी मजबूत होता है, वैसे तो माना जाता है कि महिला का दिल काफी कमजोर होता है, लेकिन यह सत्य नहीं है महिला का दिल पुरुष के मुकाबले मजबूत होता है, लेकिन महिला भावात्मक जल्दी हो जाती है, जबकि पुरुष में भावनाओं की कमी रहती है।
- पुरुषों के मुकाबले महिला के अंदर दर्द सहने की ताकत दोगुनी होती है। भगवान ने उन्हें इतनी ताकत प्रदान की है, कि वह एक बच्चे को 9 महीने में पेट में रखकर जब जन्म देती है, तब उसे इतना दर्द होता है जितना पुरुष को 200 बार हड्डी टूटने पर होता है।
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